टुकड़े टुकड़े हम नहीं, तुम्हारा टूटना मुमकिन है
– उमेश श्रिनिवसनयह जो बैर के पहाड़ खड़े किए हैं तुमने
सोचा होगा के हैं हिमालय से भी बुलंद
हम नहीं जियेंगे इनके साए में
नफ़रत के टुकड़े कर देंगेटुकड़े टुकड़े हम नहीं, तुम्हारा टूटना मुमकिन है
जाओ रेंगते उसी गुफाह में
जहाँ से साँप बनकर निकले हो
तुम्हारा ज़हेर ना होगा हमसे हज़म
आतंकवाद के टुकड़े कर देंगेटुकड़े टुकड़े हम नहीं, तुम्हारा टूटना मुमकिन है
खून बहाया, मौत भी बाँटा
अब खामोशी में बर्दाश्त नहीं
ना होगा ख़त्म हमारे खून का कोष
भेदभाव के टुकड़े कर देंगेयह टुकड़े टुकड़े हम नहीं, तुम्हारा टूटना मुमकिन है
Tukde tukde hum nahin, tumhara tootna mumkin hai
– Umesh Srinivasan
We are not in pieces, but you will certainly shatter
These mountains of hatred you have created
You thought they were too strong to crush
We will not live in their shadow of fear
We will smash your propaganda of hate
We are not in pieces, but you will certainly shatter
Go crawling back to the very hole
From which you’ve emerged a spiteful snake
Your venom has no power here
We will smash your reign of terror
We are not in pieces, but you will certainly shatter
We have bled and we have been killed
We will not remain silent any more
We will never run out of blood and lives
We will smash your bigotry
We are not in pieces, but you will certainly shatter
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